Surya Grahan 2024 in india
Surya Grahan 2024 in india : इस साल का पहला सूर्यग्रहण चैत्र अमावस्या के दिन लगने वाला है। इस बार सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल, यानि आज के दिन लगेगा। यह ग्रहण आज रात 9 बजकर 12 मिनट पर शुरू हो जाएगा और इसका समापन रात 2 बजकर 22 मिनट पर होगा। इस सूर्यग्रहण का मध्य समय रात 11 बजकर 47 मिनट पर होगा। यह पूर्ण सूर्यग्रहण होगा। सूर्य ग्रहण की अवधि 05 घंटे 10 मिनट की होगी।
जब पृथ्वी, सूर्य तथा चंद्र एक सीधी रेखा में होते हैं, इसके कारण पृथ्वी के एक भाग पर पूरी तरह से अंधेरा छा जाता है, तब पूर्ण सूर्य ग्रहण की स्थिति बनती है। इसे आप खुली आंखों से बिना किसी यंत्र के भी देख सकते हैं। लेकीन उसे खुली आंख से देखना नहीं चाहिए क्योंकि वो आंखों को नुकसान कर सकता है।
सूर्य ग्रहण का साया चैत्र नवरात्रि पर भारी हो रहा है। 8 अप्रैल की रात 9 बजकर 12 मिनट पर सूर्य ग्रहण होगा जो चैत्र नवरात्रि का पर्व पंचांग के अनुसार 9 अप्रैल से ही आरंभ हो रहा है। इसमे खास बात ये है कि ग्रहण होने के बाद भी नवरात्रि की पूजा पर इसका असर नहीं है, क्योंकि यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। तो चलिए जानते है इस बार के सूर्य ग्रहण की पूरी जानकारी।
54 साल बाद पूर्ण सूर्यग्रहण होगा:
इस साल के इस पहले सूर्य ग्रहण को खास माना जा रहा है। 8 अप्रैल को लगने वाला पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा और ये काफी लंबा सूर्य ग्रहण माना जा रहा है, जिसका संयोग पूरे 54 साल बाद बना है। हालांकि, यह ग्रहण भारत में देखने नहीं मिलेगा। बल्कि, कनाडा, उत्तरी अमेरिका, मैक्सिको जैसे देशों मे दिखाई देगा। इस पूर्ण सूर्य ग्रहण की शुरुआत दक्षिण प्रशांत महासागर से होने वाली है।
हिन्दू धर्म के अनुसार सूर्य ग्रहण जिस समय लगता है, उसके 12 घंटे पहले सूतक लग जाता है। हालांकि ऐसा तब होता है जब ग्रहण दिखाई दें। ग्रहण के दिखाई न देने पर सूतक भी मान्य नहीं होता है। 08 अप्रैल को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए भारत मे इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।
सूर्य ग्रहण के दौरान ध्यान मे रखने की खास बाते:
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य ग्रहण के दौरान सोना नहीं चाहिए और सूई में धागा नहीं लगाना चाहिए। इसके अलावा ग्रहण के दौरान यात्रा करने से भी बचना चाहिए और शारीरिक संबंध बनाना भी मना होता है। कोई भी खाने पीने की चीजों को खुल्ला नहीं रखना चाहिए और साथ ही कोई भी चीज की खरीदारी नहीं करनी चाहिए।
सूर्य ग्रहण के बाद गंगाजल से स्नान कर लेना चाहिए, और पूरे घर और देवी देवताओं को भी शुद्ध कर लीजिए। ग्रहण के दौरान सीधे सूर्य को देखने से बचना चाहिए। सूर्य ग्रहण के दौरान बाहर जाने से बचें, साथ ही ध्यान रखें कि आप कोई गलत काम न करें। ग्रहण के बाद हनुमान जी की उपासना करें, जिससे आप कोई भी नकारात्मक ऊर्जा से दूर रहे।
ग्रहण की पौराणिक कथा:
हिंदू धर्म की कथा के मुताबिक, ग्रहण का संबंध राहु और केतु ग्रह से है। बताया जाता है कि समुद्र मंथन के जब देवताओं और राक्षसों में अमृत से भरे कलश के लिए युद्ध हुआ था। तब उस युद्ध में राक्षसों की जीत हुई थी और राक्षस कलश को लेकर अपने पाताललोक में चले गए थे। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अप्सरा का रूप धारण किया और असुरों से वह अमृत कलश ले लिया था।
इसके बाद जब भगवान विष्णु ने देवताओं को अमृत पिलाना शुरू किया तो स्वर्भानु नामक राक्षस ने धोखे से अमृत पी लिया था और देवताओं को जैसे ही इस बारे में पता लगा उन्होंने भगवान विष्णु को इस बारे में बता दिया। इसके बाद भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। और तब से ही स्वर्भानु के शरीर के 2 हिस्सों को ही राहु और केतु नाम से जाना जाता है और देवताओं से अपमान का बदला लेने के बाद वह सूर्य और चन्द्र से बदला लेने के लिए बार-बार ग्रहण लगाते हैं।
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