Subarnarekha River Flood 2025
2025 का मानसून झारखंड और ओडिशा के लिए एक बड़ी आपदा लेकर आया है। झारखंड के ऊपरी इलाकों—जैसे कि फेकाघाट, घाटशिला, जमशेदपुर और जमशोलाघाट—में जून के मध्य से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने सुबर्णरेखा नदी के जलस्तर को खतरनाक स्तर तक पहुँचा दिया है।
खासकर गालूदीह बैराज से अचानक बड़ी मात्रा में पानी छोड़े जाने के कारण नदी का प्रवाह नियंत्रण से बाहर हो गया, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई। इस जलसंकट का सबसे बड़ा असर ओडिशा के बालासोर जिले के क्षेत्रों—बालीपाल, भोगराई, बस्ता और जलेश्वर ब्लॉक—में देखा जा रहा है।
इन इलाकों में पानी ने रिहायशी इलाकों और कृषि भूमि को पूरी तरह से जलमग्न कर दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 61 से अधिक गांवों में पानी भर गया है, और 50,000 से अधिक लोग इस बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। सुंदरनगर और आसपास के जुड़वां गांवों में भी हालात काफी चिंताजनक बने हुए हैं।
प्रभावित क्षेत्र और संकट की वजहें
बाढ़ से प्रभावित जिले:
ओडिशा: बालासोर (Baliapal, Bhograi, Basta, Jaleswar Block), मयूरभंज
झारखंड: पूर्वी सिंहभूम (Jamshedpur, Mango Bridge, Bagbeda) इन सभी क्षेत्रों में भारी बारिश के साथ-साथ बैराजों से अचानक छोड़े गए पानी ने बाढ़ की स्थिति को और खतरनाक बना दिया है।
बाढ़ के प्रमुख कारण:

झारखंड के गालूदीह बैराज और ऊँचे बांधों से भारी मात्रा में पानी का अचानकरिलीज़।
लगातार हो रही बारिश, जिसने जल संग्रहण क्षेत्रों (catchment areas) की क्षमता को पार कर दिया। बांधों के गेट खोलने से downstream की ओर पानी का बहाव अत्यधिक तेज़ हो गया, जिससे गांवों में तेजी से पानी भरने लगा।
यह आपदा सिर्फ एक प्राकृतिक घटना नहीं है, बल्कि यह इंफ्रास्ट्रक्चर की नाजुकता और जल प्रबंधन की खामियों को भी उजागर करती है। राहत और पुनर्वास की प्रक्रिया चालू है, लेकिन अभी भी हजारों लोग अपने घरों से बेघर होकर अस्थायी शिविरों में शरण लेने को मजबूर हैं।
जलस्तर की मौजूदा स्थिति: हर तरफ़ पानी ही पानी
झारखंड और ओडिशा में बाढ़ की स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है, क्योंकि प्रमुख नदियों का जलस्तर खतरे की सीमा को पार कर चुका है। जमशोलाघाट में सुबर्णरेखा नदी का जलस्तर 50.64 मीटर तक पहुंच गया है, जो कि खतरे की सीमा 49.16 मीटर से कहीं अधिक है। वहीं राजघाट में भी स्थिति चिंताजनक है, जहां जलस्तर 11.53 मीटर है, जबकि खतरे की सीमा 10.36 मीटर मानी जाती है।
झारखंड में Mango Bridge पर सुबर्णरेखा नदी 123.36 मीटर और खरकई नदी 134.90 मीटर तक पहुँच गई है, जो कि क्रमशः 121.50 मीटर और 129 मीटर की खतरे की सीमा से ऊपर है। इन सभी स्थानों पर पानी का स्तर लगातार बढ़ रहा है, जिसके चलते स्थानीय प्रशासन ने रेड अलर्ट जारी कर दिया है।
राहत कार्य और निगरानी: हर स्तर पर जुटा प्रशासन

बढ़ते जलस्तर को देखते हुए प्रशासन ने राहत और निगरानी के कार्य तेज़ कर दिए हैं। ओडिशा सरकार ने बालासोर, भद्रक और जाजपुर जैसे प्रमुख ज़िलों में 24×7 फ्लड कंट्रोल रूम स्थापित किए हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया दी जा सके।
जिला कलेक्टरों को जमशोलाघाट, भोगराई, जाजपुर और बालासोर जैसे संवेदनशील इलाकों में तत्काल चेतावनी भेजी गई है। जल संसाधन विभाग की ओर से वरिष्ठ इंजीनियरों की टीम को Subarnarekha‑Baitarani बेसिन की लगातार निगरानी के लिए तैनात किया गया है।
बचाव कार्य: मैदान में जुटी रेस्क्यू टीमें
बाढ़ प्रभावित इलाकों में NDRF, ODRAF और फायर सर्विस की टीमें तैनात कर दी गई हैं। नावें, बचाव उपकरण और राहत सामग्री लगातार पहुँचाई जा रही हैं। बालासोर जिले की 53 ग्राम पंचायतों से अब तक 3,656 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। इन जगहों पर राहत शिविर और फ्री किचन भी शुरू कर दिए गए हैं ताकि लोगों को तुरंत भोजन और शरण मिल सके।
कुछ प्रमुख प्रभावित गांव जैसे कि Pontei, Bishnupur, Rashalpur, Jamkunda और Kulhachada में बाढ़ का पानी घरों और खेतों तक पहुंच चुका है। हालांकि प्रशासन राहत देने के प्रयासों में जुटा है, लेकिन स्थानीय लोगों ने सहायता वितरण में देरी और सामग्री की कमी की शिकायत भी दर्ज करवाई है।
व्यापक प्रभाव: जब बाढ़ ने जिंदगी की रफ्तार थाम दी
सोचिए ज़रा, जब आपकी मेहनत से सींची गई फसलें पानी में बह जाएं, और आप अपने ही खेत तक न जा सकें… यही हाल आज झारखंड और ओडिशा के बाढ़ प्रभावित ग्रामीण इलाकों का है। सुबर्णरेखा नदी की बाढ़ ने हजारों एकड़ धान और सब्जियों की फसलों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। जिन खेतों में हरे पौधे लहलहाते थे, अब वहां सिर्फ पानी और कीचड़ का सैलाब नजर आता है।
ग्रामीण सड़कों और प्रमुख मार्गों का संपर्क टूट गया है। कई लोग अपने गाँव से बाहर बाजार या नजदीकी अस्पताल तक भी नहीं पहुंच पा रहे। रोज़मर्रा की ज़रूरतें पूरी करना अब एक संघर्ष बन गया है। विशेष रूप से बस्ती क्षेत्रों में जलजमाव, बिजली कटौती और स्वास्थ्य सेवाओं पर बुरा असर पड़ा है।
एक स्थानीय निवासी ने बताया – “हमारा परिवार रात में नाव से निकाला गया, क्योंकि घर के भीतर घुटनों तक पानी भर गया था।” यह सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि सैकड़ों गांवों की एक जैसी हकीकत है।

बाढ़ की सच्चाई समझने के लिए उपयोग करें इन्फोग्राफिक्स और डेटा इस गंभीर स्थिति को समझाने और जागरूकता बढ़ाने के लिए इन्फोग्राफिक्स, फ्लड ज़ोन मैप और इवैक्यूएशन प्लान का उपयोग बेहद जरूरी है। इससे रीडर को स्पष्ट तौर पर यह समझने में मदद मिलेगी कि कौन से क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हैं और सरकार की ओर से क्या-क्या तैयारियां की जा रही हैं।
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डिस्क्लेमर: यह लेख जून–जुलाई 2025 तक उपलब्ध समाचार स्रोतों जल संसाधन विभाग, जिलाधिकारी कार्यालय आदि पर आधारित है। स्थानिक परिस्थितियाँ तेजी से बदल सकती हैं, कृपया आपात स्थिति में स्थानीय प्रशासन या आधिकारिक स्त्रोतों से नवीनतम जानकारी प्राप्त करें। यह लेख केवल जानकारी और जन जागरूकता हेतु है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
Q1. Subarnarekha नदी में बाढ़ कब शुरू हुई?
जून मध्य में झारखंड के catchment क्षेत्र में भारी बारिश शुरू हुई और Galudih barrage से पानी रिलीज़ होने पर बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई।
Q2. किस जिले में सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ?
जिला बालासोर में सबसे अधिक संकटग्रस्त स्थिति रही—61 गांव पूरी तरह जलमग्न हुए, लगभग 50,000 लोग विस्थापित।
Q3. क्या राहत और बचाव कार्य प्रभावी रहे?
NDRF, ODRAF और फायर सर्विस टीमें सक्रिय थीं और 3,656 लोगों को निकाला गया, लेकिन कुछ ग्रामीणों ने राहत वितरण की कमी की शिकायत की।
Q4. क्या भविष्य में फिर बारिश की चेतावनी जारी है?
हां, IMD ने जुलाई 5 तक भारी बारिश की चेतावनी जारी की है, जिससे स्थिति और खराब होने की संभावना बनी हुई है।
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