International Tiger Day 2025: जागरूकता के कार्यक्रम और शैक्षणिक गतिविधियाँ

Jemish Maniya
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International Tiger Day 2025
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International Tiger Day 2025

International Tiger Day के अवसर पर देशभर में विभिन्न शैक्षणिक संस्थान, NGOs और वन्यजीव संरक्षण संगठनों द्वारा कई रचनात्मक और जागरूकता बढ़ाने वाले कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। स्कूलों में छात्र पोस्टर मेकिंग, कविता लेखन, चित्रकला प्रतियोगिता और वृक्षारोपण अभियान में भाग लेंगे, जिससे बच्चों में बाघों के संरक्षण के प्रति समझ और संवेदनशीलता पैदा हो।

वहीं, देश भर में #RoarForTigers और #SaveTigers जैसे सोशल मीडिया कैंपेन के ज़रिए डिजिटल जागरूकता को बढ़ावा दिया जा रहा है। वन विभाग और संरक्षण समूहों द्वारा वेबिनार, जन-जागरूकता रैलियाँ, और टाइगर डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग भी आयोजित की जा रही हैं।

खासकर लखनऊ और पीलीभीत जैसे क्षेत्रों में “बाघ मित्र” जैसे स्थानीय संरक्षण कार्यकर्ताओं के साथ वॉकाथॉन और अवेयरनेस ड्राइव की जा रही हैं, जहाँ आम जनता को जंगल और बाघों के पारिस्थितिक महत्व के बारे में बताया जा रहा है।

राष्ट्रीय उद्यानों में Guided Safari और इन्फॉर्मेशन वॉक जैसी गतिविधियाँ लोगों को प्रकृति के साथ जोड़ने का कार्य कर रही हैं। इन सभी कार्यक्रमों का उद्देश्य है लोगों को यह समझाना कि बाघ सिर्फ एक जानवर नहीं, बल्कि हमारे इकोसिस्टम का संरक्षक है।

इतिहास और उद्देश्य – इंटरनेशनल टाइगर डे क्यों जरूरी है?

International Tiger Day 2025
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1990 के दशक में दुनियाभर में बाघों की संख्या तेजी से घटने लगी थी। जंगलों की कटाई, अवैध शिकार और प्राकृतिक आवास के नुकसान ने बाघों को विलुप्ति की कगार पर ला खड़ा किया। इसी गंभीर स्थिति को देखते हुए 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग में “टाइगर समिट” का आयोजन किया गया, जहाँ से International Tiger Day 2025 नींव रखी गई।

इसका मुख्य उद्देश्य था सभी टाइगर-रेंज देशों को एकजुट करके बाघों के संरक्षण की वैश्विक मुहिम को तेज़ करना। यह दिन हमें याद दिलाता है कि अगर हम अभी नहीं जागे, तो आने वाली पीढ़ियों को बाघ सिर्फ किताबों और कहानियों में ही देखने को मिलेंगे। International Tiger Day 2025 का मकसद केवल जागरूकता फैलाना नहीं, बल्कि सकारात्मक एक्शन और पॉलिसी लेवल पर बदलाव लाना भी है।

बाघों का पर्यावरणीय महत्व – क्यों ज़रूरी हैं टाइगर्स हमारे जंगलों के लिए?

बाघ केवल एक खूबसूरत और ताकतवर जानवर ही नहीं हैं, बल्कि जंगल के “apex predator” भी होते हैं, यानी खाद्य श्रृंखला के सबसे ऊपरी पायदान पर। इनकी मौजूदगी जंगल की पारिस्थितिकी (ecosystem) का संतुलन बनाए रखती है। जब बाघ जंगल में होते हैं, तो हिरण, नीलगाय जैसे शाकाहारी जानवरों की आबादी नियंत्रित रहती है, जिससे पेड़-पौधों को नुकसान नहीं पहुँचता और जंगल हरे-भरे बने रहते हैं।

स्वस्थ जंगल का मतलब है साफ़ नदियाँ, समृद्ध जैव विविधता और स्थिर जलवायु। बाघों की अच्छी संख्या यह दर्शाती है कि वह पूरा इकोसिस्टम स्वस्थ है। इसलिए कहा जाता है कि “अगर बाघ बचेंगे, तो पूरा जंगल बचेगा।”

बाघों की वर्तमान स्थिति और संरक्षण की चुनौतियाँ

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आज बाघों का अस्तित्व गंभीर खतरे में है। एक समय था जब दुनिया में लगभग 1 लाख बाघ जंगलों में स्वतंत्र रूप से घूमते थे, लेकिन आज यह संख्या सिर्फ 4,000 के आसपास रह गई है। यह गिरावट वन्यजीव संरक्षण के लिए एक बड़ी चेतावनी है। हालांकि भारत में 2025 तक कुल 3,682 बाघों की गिनती हुई है, जो कि दुनिया की कुल टाइगर पॉपुलेशन का करीब 75% हिस्सा है।

लेकिन फिर भी कई बड़ी चुनौतियाँ हैं जो इन शेरदिल शिकारी को संकट में डाल रही हैं। इनमें अवैध शिकार, जंगलों का कटाव, इंसानों और बाघों के बीच बढ़ता टकराव, और प्राकृतिक शिकार की घटती संख्या शामिल हैं। इसके अलावा प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और फैलते रोग भी बाघों के अस्तित्व को प्रभावित कर रहे हैं।

भारत का योगदान – Project Tiger से दुनिया को मिली नई राह

भारत ने बाघों के संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम 1973 में Project Tiger की शुरुआत के साथ उठाया। उस समय बाघों की संख्या में भारी गिरावट चिंता का विषय बन चुकी थी। इस राष्ट्रीय योजना का उद्देश्य था बाघों के प्राकृतिक आवासों की रक्षा करना और उनकी आबादी को बढ़ावा देना।

समय के साथ इस मिशन ने एक व्यापक रूप लिया और 2025 तक भारत में कुल 58 टाइगर रिजर्व्स स्थापित किए जा चुके हैं। इन प्रयासों का प्रभाव इतना सकारात्मक रहा कि भारत आज दुनिया के कुल जंगली बाघों का लगभग 75% अपने जंगलों में संरक्षित किए हुए है।

Project Tiger सिर्फ एक योजना नहीं रहा, बल्कि यह एक वैश्विक मॉडल बन गया है, जिससे अन्य टाइगर-रेंज देश भी प्रेरणा ले रहे हैं। भारत की यह उपलब्धि यह दर्शाती है कि मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति, वैज्ञानिक योजना और सामुदायिक भागीदारी से किसी भी संकटग्रस्त प्रजाति को बचाया जा सकता है।

उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल में खास कार्यक्रम

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उत्तर प्रदेश में ‘M-Stripes सिस्टम’ के अंतर्गत महीने भर में लगभग 1.5 लाख किमी पेट्रोलिंग की जाती है। यहाँ 120 से अधिक “बाघ मित्र” को ग्रामीण क्षेत्रों में नियुक्त किया गया है, जो लोगों को जागरूक करते हैं और बाघों की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाते हैं।

झारखंड के Palamu Tiger Reserve में सकारात्मक बदलाव के तहत Jaigeer और Kujrum गांवों के परिवारों ने स्वैच्छिक पुनर्वास को स्वीकार किया। इसके साथ ही वहाँ एक स्मार्ट क्लास की शुरुआत की गई है, जिससे मानव–वन्यजीव संघर्ष को कम किया जा सके।

पश्चिम बंगाल के कोलकाता में टाइगर रेस्क्यू टीमों को विशेष सम्मान दिया गया है, जिन्होंने प्रसिद्ध बाघिन “Zeenat” को सुरक्षित रूप से पकड़ने का सराहनीय कार्य किया था। इन टीमों को पद्म श्री पी.के. सेन पुरस्कार जैसे सम्मानों से नवाज़ा गया, जो वन्यजीव सुरक्षा के क्षेत्र में उनकी उत्कृष्ट सेवा को दर्शाता है।

वैश्विक सहयोग

International Big Cat Alliance की शुरुआत भारत की एक ऐतिहासिक पहल के तहत वर्ष 2023 में की गई थी, जिसका उद्देश्य था दुनिया भर के बड़े बिल्लियों (जैसे बाघ, तेंदुआ, सिंह आदि) के संरक्षण के लिए वैश्विक स्तर पर सहयोग बनाना। इस मिशन में अब तक 11 देशों ने हिस्सा लिया है, और यह संख्या लगातार बढ़ रही है।

इस गठबंधन के ज़रिए अवैध वन्यजीव व्यापार, शिकार और बड़े बिल्ली प्रजातियों के रहवास क्षेत्रों पर हो रहे खतरों को रोकने के लिए सामूहिक रणनीति तैयार की जा रही है। भारत ने न केवल इसका नेतृत्व किया है बल्कि यह दिखाया है कि कैसे एक देश अपने अनुभवों के ज़रिए वैश्विक वन्यजीव संरक्षण आंदोलन को आकार दे सकता है।

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डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी जुलाई 2025 तक उपलब्ध समाचार स्रोतों और सरकारी रिपोर्ट्स पर आधारित है। संरक्षण योजना, सांख्यिकी और गतिविधियों समय-समय पर परिवर्तन हो सकते हैं। कृपया प्रासंगिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आधिकारिक स्रोत देखें। यह लेख केवल जन जागरूकता और अध्ययन हेतु लिखा गया है।

FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

Q1. International Tiger Day कब मनाया जाता है?
29 जुलाई को प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है, जो 2010 में स्थापित हुआ था।

Q2. इसका उद्देश्य क्या है?
बाघों की घटती संख्या के प्रति जागरूकता पैदा करना और संरक्षण प्रयासों को व्यापक करना।

Q3. भारत में बाघ की संख्या कितनी है?
मार्च 2025 तक देश में लगभग 3,682 जंगली बाघ पाए गए, जो दुनिया के कुल टाइगर का 75% हिस्सा बनाता है।

Q4. संरक्षण में भारत ने क्या कदम उठाए हैं?
1973 से Project Tiger, M-Stripes और Tiger Reserves की स्थापना, बाघ मित्र अभियान जैसी community integration, IBCA जैसे अंतरराष्ट्रीय सहयोगी प्रयास शामिल हैं।

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