Google Doodle celebrates Hamida Banu
Google Doodle celebrates Hamida Banu: गूगल ने 4 मई को हमीदा बानो को याद करते हुए एक डूडल बनाया है। हमीदा बानो भारत की पहली महिला पहलवान थीं। साल 1954 में आज ही के दिन आयोजित एक कुश्ती मैच में केवल 1 मिनट और 34 सेकेंड में जीत दर्ज करने के बाद हमीदा बानो को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। उन्होंने प्रसिद्ध पहलवान बाबा पहलवान को हराया था। हार के बाद बाबा पहलवान ने कुश्ती से संन्यास ले लिया।
गूगल ने अपने डूडल के डिस्क्रिप्शन में कहा है की, “हमीदा बानो अपने समय की अग्रणी थीं और उनकी निडरता को पूरे भारत और दुनियाभर में याद किया जाता है। अपनी खेल उपलब्धियों के अलावा, उन्हें हमेशा खुद के प्रति सच्चे रहने के लिए मनाया जाएगा”। गूगल के इस डूडल को बेंगलूरू की गेस्ट कलाकार दिव्या नेगी ने तैयार किया है। डूडल के बैकग्राउंड में Google लिखा हुआ है, जो स्थानीय वनस्पतियों और जीवों से घिरा हुआ है। हमीदा बानो को ‘अलीगढ़ की अमेजन’ के नाम से भी जाना जाता है।
भारत में कुश्ती का खेल हमेशा से काफी फेमस रहा है। आज ओलिंपिक से लेकर लगभग हर बड़े टूर्नामेंट में भारत के पास कुश्ती के मेडल है। लेकिन पहले यह सिर्फ पुरुषों का खेल माना जाता था। महिलाएं कुश्ती नहीं किया करती थीं। कोई सोचता तक नहीं था कि महिलाएं पहलवानी कर सकती हैं। उस जमाने में यूपी की हमीदा बानो ने कुश्ती मे अपना नाम बनाया।
हमीदा बानो का परिचय:
Google Doodle celebrates Hamida Banu
हमीदा बानो का जन्म 1900 के दशक की शुरुआत में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के पास एक पहलवान परिवार में हुआ था। वह बचपन से ही कुश्ती करती रहीं और 1940 और 1950 के दशक में अपने करियर के दौरान 300 से अधिक प्रतियोगिताएं जीतीं। लेकीन उस दौर में कुश्ती सिर्फ पुरुषों तक सीमित थी। महिलाएं तो अखाड़े में उतरने का सोच भी नहीं सकती थीं। हमीदा ने जब अपने परिवार वालों से कुश्ती लड़ने की बात कही, तो परिवार ने उन्हें खूब खरी-खोटी सुनाई। हमीदा ने बगावत कर दी और अलीगढ़ चली आईं। यहां सलाम पहलवान से कुश्ती के दांव-पेंच सीखे और फिर मुकाबले में उतरने लगीं।
महेश्वर दयाल 1987 में प्रकाशित अपनी किताब में लिखते हैं कि कुछ साल के भीतर हमीदा बानो उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब तक मशहूर हो गईं। वह बिल्कुल पुरुष पहलवानों की तरह लड़ा करती थीं। शुरू में छोटे-मोटे मुकाबला लड़ती रहीं, लेकिन वह जो हासिल करना चाहती थीं, इन मुकाबलों से नहीं मिल सकता था। हमीदा बानो को भारत की पहली महिला पहलवान माना जाता है, जो अपने दौर में पुरुष पहलवानों को खुली चुनौती देने के लिए जानी जाती थी।
शादी के लिए रखी थी शर्त :
हमीदा बानो साल 1954 में चर्चा में आईं, क्योंकि उस वक्त उन्होंने एक अजीब ऐलान कर दिया। हमीदा बानो ने घोषणा की कि जो पुरुष पहलवान उन्हें कुश्ती में हराएगा, उससे वो शादी कर लेंगी। इस ऐलान के बाद तमाम पहलवानों ने उनका चैलेंज स्वीकार किया, लेकिन हमीदा के आगे कोई भी टिक नहीं पाए। पहला मुकाबला पटियाला के कुश्ती चैंपियन से हुआ और दूसरा कलकत्ता के चैंपियन से और हमीदा ने इन दोनों को धूल चटा दी।
उसके बाद उसी साल हमीदा बानो वड़ोदरा अपने तीसरे मुकाबले के लिए पहुंचीं। शहर में जगह-जगह उनके पोस्टर लगे थे। हमीदा का मुकाबला छोटे गामा पहलवान से होना था, जिनका नाम ही काफी था और महाराजा वड़ोदरा के संरक्षण में थे, लेकिन ऐन मौके पर छोटे गामा पहलवान यह कहते हुए मुकाबले से पीछे हट गए कि वह एक महिला से कुश्ती नहीं लड़ेंगे। इसके बाद हमीदा का मुकाबला बाबा पहलवान से हुआ।
हमीदा बानो और बाबा पहलवान का मुकाबला 1 मिनट 34 सेकेंड चला और हमीदा ने बाबा को धूल चटा दी। इसके साथ ही रेफरी ने ऐलान किया कि ऐसा कोई पुरुष पहलवान नहीं है, जो हमीदा को हराकर उनसे शादी कर पाए। और आखिरकार हमीदा बानो ने उसके ट्रेनर सलाम पहलवान से शादी कर ली थी।
ऐसी थी हमीदा बानो की डाइट :
यूपी के मिर्जापुर में जन्मीं हमीदा बानो की डाइट ही बड़े बड़ों के पसीने छुड़ाने के लिए काफी है। हमीदा बानो की हाइट 5 फीट 3 इंच थी और उनका वजन 107 किलो था। कहते हैं कि वो रोजाना 6 लीटर दूध, पौने तीन किलो सूप, सवा दो लीटर फलों का जूस पीती थीं। इसके साथ ही एक मुर्गा, एक किलो मटन, 450 ग्राम मक्खन, 6 अंडे, लगभग एक किलो बादाम, 2 बड़ी रोटियां और 2 प्लेट बिरयानी खाती थीं। दिन के 24 घंटों में वह 9 घंटे सोती थीं और 6 घंटे एक्सरसाइज करती थीं और बाकी समय खाती रहती थीं।
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